Monday, 25 September 2023

Jain Rot Teej Kab Hai | जैन धर्म तीज व्रत कब हैं? जाने जैन धर्म में इसके मायने

 

दोस्तों आज की इस आर्टिकल में हम बात करेंगे की Jain Rot Kab Hai, जैन धर्म की रोट तीज कब है? हमारे भारत देश में कई तरह का पर्व मनाया जाता है। 


Jain Rot teej kab hai


जैन धर्म का सबसे बड़ा पर्व महावीर जयंती है महावीर स्वामी जैन धर्म को मानने वाले लोगों के भगवान कहे जाते हैं। इसीलिए भारत देश को पर्व का नगरी कहा जाता है पूरे विश्व में सबसे ज्यादा परम भारत देश में मनाया जाता है जिनमें जैन धर्म के लोग जैन रोट तीज पर्व मनाते हैं जैन रोट तीज पर्व का विशेष महत्व दिया गया है जैन रोट तीज पर्व विशेष रूप से महिलाओं को जरूर करना चाहिए, इस पर्व को करने से परिवार की सुख शांति पॉजिटिव एनर्जी और हर प्रकार से संभव सुख प्राप्त होता है। 


अगर आप भी जैन रोट तीज करना चाहते हैं लेकिन आपको पता नहीं है कि Jain Rot Teej Festival kab Hai तो आज हम आपको बताएंगे कि जैन रोट तीज कब है? 


जैन रोट तीज कब मनाया जाता है जैन रोट तीज कब महत्व क्या है जैन रोट तीज व्रत कथा क्या है  जैन रोट तीज की पूरी जानकारी हम आपको इस आर्टिकल में बताएंगे जैन रोट तीज के बारे में पूरी जानकारी जानने के लिए इस आर्टिकल को शुरू से अंत तक जरूर पढ़े। ताकि आपको पूरी जानकारी मिल सके। 



Jain Rot Teej Kab Hai तीज व्रत कब हैं?

तीज महिलाओं द्वारा मनाए जाने वाले त्यौहार है और भगवान शिव और देवी पार्वती के मिलन की समर्पित है। यह ज्यादातर उत्तर भारत में मनाया जाता है। तीज का त्योहार मुख्य 3 रूप में मनाया जाता है हरियाली तीज, कजरी तीज, और हरितालिका तीज मुख्य रूप से तीज।


हरियाली तीज 

हरियाली तीज सावन मास के शुक्ल पक्ष के तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इसे सिंघाड़ा तीज भी कहा जाता है। हरियाली का अर्थ हरियाली है। ऐसा माना जाता है कि गर्मी के मौसम के बाद धरती हरियाली में लिपट जाएगी। हरियाली तीज नव विवाहित महिलाओं के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण त्यौहार है जो अपने घर आती है और उन्हें कई वस्तु में भेंट की जाती है। माता-पिता अपनी बेटी और उनके ससुराल वालों को सिंधरा नमक उपहार देते हैं उपहार में आकर पर घेवर, घर की बनाई मिठाई ही ना आदि शामिल होंगे। 


त्योहार के दिन, लोकगीत, विशेष नित्य मिले और झूले लगाए जाते हैं। अध्यामिकता गीत भी गए जाते हैं। महिलाएं हरे रंग के कपड़े पहनेगी और विशेष पूजा करेगी राजस्थान राज्य में देवी पार्वती या तीज माता की यात्राएं सड़कों पर निकल जाएगी। हरियाणा में हरियाली तीज एक हत्या धरीक अवकाश है और स्थानीय सरकार इस दिन को रंगीन ढंग से मनाने के लिए कई समारोह आयोजित करेगी पंजाब में महिलाएं गिद्दा करेगी जब चंडीगढ़ में छात्र संस्कृत कार्यक्रम और नाटक प्रस्तुत करेंगे। 


कजरी तीज 2023

कजरी तीज 2 सितंबर को हैं। देश के दक्षिणी और उत्तरी हिस्से में इस त्यौहार को मनाएंगे। यह त्यौहार राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात, बिहार और मध्य प्रदेश में मनाया जाता है। मानसून का स्वागत करने के लिए लोग त्योहार मनाते हैं बूंदी राजस्थान का एक शहर त्योहारों के लिए लोकप्रिय है त्यौहार मनाने के लिए शहर की खूबसूरती से सजाया गया है बूंदी की सड़कों पर तीज माता की शोभा यात्राएं निकलई जाती है। 


कजरी के त्यौहार के दौरान अनुष्ठान

  • महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती है इन दिन महिलाएं नई कपड़े साड़ी पहनेगी और मेहंदी लगाएगी। 

  • देश के कुछ हिस्सों में पवित्र नीम के पेड़ों की पूजा महिलाओं द्वारा भी की जाती है जो छोटे समूह में इकट्ठा होती है और एक पुजारी के निर्देशन के में पूजा करती है। 

  • त्योहार के दिन महिलाएं कठिन वर्ष भी रखेगी वह कुछ भी नहीं खाएंगे सारा दिन भूखे रहेंगे और रात में अपने पति के हाथ से कुछ खायेगे।


हरितालिका तीज 2023

हरितालिका तीज हिंदू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद माह के तीन दिन तक मनाया जाता है। विवाहित महिलाएं और अविवाहित लड़कियां तीज माता जो देवी पार्वती हैं इससे प्रार्थना करेगी लड़कियां भगवान शिव जैसा अच्छा पति पाने की आशा रखती है। इन तीन दिनों में महिलाएं निर्जला व्रत करती है। और देवी की पूजा करती है ऐसा माना जाता है कि भगवान शिवा त्योहार के दिन व्रत रखने वाली महिलाओं को मनोकामना पूरे करते हैं यह त्यौहार उत्तर प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान और बिहार के बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। 



जैन रोट तीज त्यौहार कब हैं?

जैन रोट तीज त्यौहार भाद्रपद के शुक्ल तृतीया को हैं। जैन रोट तीज हर वर्ष भाजपद्र के शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि को मनाया जाता है यह पर्व साल में एक ही बार मनाया जाता है यह पर्व जैन धर्म के लोग विशेष रूप से मनाते हैं। 


जैन रोट तीज व्रत अवधि 3 वर्ष 24 वर्ष होती है और रोट तीज उपवास रस त्याग पूर्वक एक आसान शक्ति के रूप में किया जाता है। 


और इस व्रत को करते समय मित्रों का उच्चारण किया जाता है जैन रोट तीज व्रत भूख ताई खंडवाला जैन समाज में प्रचलित है इस दिन विशेष रूप से रोट बनाया जाता है और रसप्रीत जाट पूर्वक रोट खाया जाता है 6 वर्षों का त्याग करके इस दिन रोट खाया जाता है और पूरी श्रद्धा के साथ रोट तीज पर्व मनाते हैं। 


जैन रोट तीज का त्योहार अच्छी तरह से समझने और जानने के लिए जैन रोट वर्थ कथा के बारे में जानना होगा। जिससे आप जैन रोट तीज व्रत के बारे में पूरी तरह से समझ पाएंगे, तो अब हम जैन रोट तीज व्रत की कथा के बारे में जानते हैं। 



जैन धर्म रोट तीज व्रत कथा

भारत में जितने भी पर्व मनाए जाते हैं उसके पीछे धार्मिक कथा अवश्य होती है इस तरह जैन धर्म रोट तेज से जुड़ी एक कथा हम आपको बताने जा रहे हैं कि जैन धर्म रोट तीज पर्व कैसे शुरू हुआ इसे शुरू करने के पीछे क्या धारणाएं हैं। 


एक समय की बात है विपुलाचल और श्री वर्धमान स्वामी शरण सहित पधारे तब राजा सैनिक ने नमस्कार करके हाथ जोड़कर प्रार्थना किया कि महाराज रोट तीज व्रत कैसे मनाए जाते हैं और इस वर्ष से किसी को क्या लाभ मिलता है और इस व्रत को करने की अवधि किया है तो कृपया हमें बताइए, उनकी बातें सुनकर वर्तमान स्वामी रोट तीज व्रत कथा बांटने लगे, और वहां उपस्थित सभी लोगों ने ध्यानपूर्वक सुनते लगे और कहां की बात तो उसे समय की है। जब उज्जैनी नगरी में एक सागर दम नाम का एक सेट रहता था उसके 56 करोड़ दिनाराओं की लक्ष्मी दिशांत करें में माल भरकर उसके जहाज जाते थे उसे सेट के 7 पुत्र थे एक दिन की बात है श्री मंदिर की में एक मुनिराज जी ने। 


अति और सावंत के धर्म का वर्णन किया सभी लोगों ने अपनी शक्तियों और क्षमता के अनुसार व्रत के लिए सागर दत्त के सेठानी ने भी प्रार्थना कारी कि मुझे भी एक ऐसा सरल वर्ष दीजिए जो कि साल में एक बार आए और उसमें मैं कुछ खा सकूं, तब श्री मुनिराज ने बताया कि व्रत नियम तोड़े से भी पामर जीव को संसार में पर लगा देते हैं। 


24 व्रत जिसे रोट तीज भी कहते हैं। इस साल में एक बार ही करना होता है भाद्रपद शुक्ल तृतीया को समाहित स्नान ध्यान करके 24 महाराज की पूजन करना चाहिए। 


पूरे दिन में एक वक्त 6 रसों का त्याग करके एक आसान और एक ही अन्य और पानी से अंतराल रहित वर्क करना चाहिए। 


इससे लक्ष्मी अटल रहती है व्रत के दिन को कथाओं का त्याग करके धर्म ध्यान में लिंग रहना चाहिए चार प्रकार का दान देना चाहिए यह व्रत 3, 12 या 24 वर्ष तक करना चाहिए। श्रमिक है कि कर्मों का पालन करना चाहिए। 


सेठानी श्री गुरु को नमस्कार करके व्रत लेकर अपने घर आई और अपने कुटुंब परिवार को व्रत लेने के विषय में बताएं कुटुंब परिवार ने कहा फूलों में रखकर कोमल चावल भी शक्कर मेवा अंत उत्तम प्रदेशों के मिश्रण से जो भोजन किया जाता है वह हजम नहीं होता है। 


तो ऐसा कठोर व्रत कैसे किया जाएगा कुटुंब परिवार की निंदा सुनकर सेठानी ने मुन्नी श्रेष्ठ द्वारा लिए गए बर्तनों का त्याग कर दिया। व्रत भंग के पाप उदय सर्व लक्ष्मी नष्ट हो गई मोतिया सब पानी हो गई रखो और सोना चांदी का ढेर कंकड़ पत्थर में बदल गए देशांतर के प्रधान जहां से तहत रह गए धन के अभाव होने के कारण दास दासियां भाग गई। 


तथा दिन बड़े ही कष्ट से व्यतीत होने लगे तब सेठ सेठानी उनके साथ पुत्र और उनकी स्त्रियां इस प्रकार सोलो प्राणियों के देशांतर जाने का विचार किया और उज्जैन नगरी छोड़कर बाहर निकल गया। हस्तिनापुर में सागर दत्त के पुत्री प्रणय थी। संकट के कुछ दिन काटने की इच्छा से हस्तिनापुर जाकर अपनी पुत्री को खबर पहुंचाई तेरे पास मदद के लिए आए हैं। 


हमारे संकट के कुछ दिन के लिए सहायक होना चाहिए पुत्री ने कहा ऐसी बात सुनकर खबर लाने वाले को कहा कि मेरे ससुराल वाले यह कहने लग जाएंगे कि हमारा धन चोरी कर पहुंचा देती है। 


अतः मेरे से ऐसा कुछ नहीं सा जाएगा इसलिए यह संकट के दिन दूसरी जगह जाकर बीते और थाली में दाल भात भजन की सामग्री एक वक्त का भजन पांच रत्न थाली में छुपा कर भेज दिए। 


पेट के पापों दे और सेठानी जी के व्रत भंग के दोस् सेवा थाली मिट्टी का बर्तन भोजन सामग्री सहित की गई और मुहावरे के कबीले बन गई। उसे उसी जगह गड्ढा खोदकर उसने गढ़ दिए और बसंतपुर ससुराल थी वहां कुछ कष्ट के दिन काट देने की इच्छा से गए सागर डेट से के साले राम सेट के यहां जीवन वर थी इसकी खबर सुनकर उन्होंने विचार किया राम जी के जीवनी वास्ते वास्ते बड़े-बड़े लोग आए होंगे ऐसी गरीबी व्यवस्था में हमारा वहां पहुंचना ठीक नहीं होगा। 


और रात के वक्त अंधेरे में चलेंगे कई दिनों से भूखे से अभी अधीर हो रहे थे सागर दत्त के पत्नी ने कहा कि मैं जाकर चावलों का पानी जो मकान से नाले में गिर रहा है ले आती है एक मटकी हांडी ले जाकर ना लेकिन नीचे रख दी मकान के ऊपर रामजी सेट के स्त्री देख रही थी।  


उसने अपने नंद को ऐसी गरीबी हालत में देखकर विचार किया कि उनके घर नष्ट हो गया है और अब हम आपको सताने आए हैं ऐसा विचार करते हुए जितना ले सो चावल का मान जा रहा था उसमें आने से एक पत्थर सरकार दिया हुआ पत्थर पढ़ने से नीचे रखी मट्टी की हड्डी टूट गई। 


और चावल का गरम-गरम मद सेठानी के पैरों पर गिर गया जिसमें वह जल गई और बहुत दुखी हुई पुत्र खबर पाकर कपड़े की झोली में डालकर उठा ले गया अयोध्या में सागर सेठ का मित्र रहता था रेखा अपने कुटुंब को दूसरे ठिकाने पर छोड़कर अकेले ही अपने मित्रों से मिलने गया मित्र से सागर सेठ दत्त का आदर सम्मान किया और ढेर देते हुए कहा कि मित्र संतोष धारण करो हमारे घर को तुम अपना ही घर समझ कर यहां रहो तुम अपने परिवार को दूसरे ठिकाने छोड़कर क्यों आए क्या इस घर को तुमने दूसरा समझा था दोनों को आपस में रात में महल में दुख सुख की बात करते हुए आधी रात व्यतीत हो गई मित्र तो उठकर दूसरे ठिकाने सोने चला गया। 


और सागर दत्त सेठ राम वहीं रह गए उसे वक्त वहां चित्रण का मंदा हुआ मोर था और उसमें एक हर था अचानक से वह हर गायब होने लगा वह हर कौन निकल रहा था, और सेट पड़े पड़े देख रहे थे मुझे यह चोरी का कलंक लगेगा और मैं कैसे रहूंगा ऐसा विचार कर रात्रि में ही चला गया और अपने कुटुंब में जाकर सारी हकीकत कहानी उधर मित्र ने बहुत अफसोस किया कि मैं बहुत सेवा करने वाला था।


वह चला क्यों गया वहां से चलकर उन्होंने चंपा पुरी में समुद्र दत्त सेट के पास पहुंचकर अपने दुख की सभा हकीकत कहानी सेठ ने यह एक प्राणी को दो शेर खाई के गले हुए जो दो पैसे भर कड़वा तेल की मजबूरी में रख लिया स्त्रियां घर का काम करती थी और पुरुष दुकान का काम करते थे सागर दत्त सेठ ने समुद्रगुप्त की स्त्री को धर्म बहन बना लिया था वह कुछ दिन बाद भद्र पर शुक्र तुझको समुद्र तट की स्त्री ने सबको कहा कि कल एक हर घर कम सफाई से करना है कल व्रत का दिन है सागर दत्त के छोटे बड़े बेटे के स्त्री ने पूछा कि कल कौन सा वर्त है। 


और इससे क्या होता है और यह कैसे किया जाता है समुद्र की सेठ की स्त्री ने उपरोक्त विधि बताते हुए कहा कि इस लक्ष्मी बढ़ती है सागर की पुत्रवधू ने श्रद्धा करते हुए अपने भाई की जो की रोटी बनाकर सबके साथ गुप्त रीति से ले गई और चढ़ाते हुए प्रार्थना करें कि हे प्रभु हम तो रात्रों का नावेद चढ़ने वाला आए थे।


परंतु आज हमारी ऐसी स्थिति है कि मैं उपवास करके अपने भाग्य को नावेद बनाकर आपको अर्पण कर रही हूं और करोड़ों भरी पुकार की व्रत में डिलीट श्रद्धा के वजह से इतना पुण्य उपार्जन हुआ चढ़ाया हुआ, नावेद तुरंत ही स्वर्ण रत्नम कब बन गया। 


पांच लोग को खबर मिलने से अभी आश्चर्जनक करने लगे समुद्र दत्त सेठ की स्त्री में एक बड़ा रोड बनवाकर सागर दत्त की स्त्री को देते हुए कहा की भोजी या रोट आज तुम्हारे बच्चों को दे देना उसने पूछा कि नंद जी आज कौन सा त्यौहार है कि आज उत्सव मनाया जा रहा है। उसने कहा कि आज 24 वर्ष अर्थात रोट तीज व्रत है और कभी संकट नहीं आता है। 


सागर दत्त की पुत्री को मुनिराज के दिए हुए व्रत को आज आने लगी और उसे भंग कर देने और छोड़ देने से भारी पश्चात हुआ और यह भी जाना कि इस व्रत भंग के दोस्त से हमारी यह संकट अपना स्थिति हो गई और पक्ष करते हुए व्रत करने का निश्चय किया व्रत पर कर होने से और अपने भूल के पश्चात पुण्य का उदय हुआ जिसके प्रभाव से हाथ में आया हुआ रोट तुरंत ही स्वर्ण में परिवर्तित हो गया। 


स्वर्ण का रोड देखकर उत्पन्न होने में से समुद्र दत्त सेठ की स्त्री ने कहा कि आता और स्वर्ण का रोड दोनों पास-पास रखे थे सो गलती से स्वर्ण का रोट आ गया और आटे का रोट वहीं रह गया मुझे वापस दे दो मैं तुम्हारे लिए गेहूं का रोट लाती हूं। जाति गेहूं का बन गया तब समुद्र दत्त की पत्नी ने कहा की भोजी अब तुम्हारे पुण्य का उदय आ गया है। 


जिसे तुम्हारे हाथ में जाते ही स्वर्ण का रोड बन जाता है उधर सागर दत्त की ने व्यापार धंधा किया जिससे वह वापस करोड़पति हो गया वहां से रवाना होकर वह मित्र के घर अयोध्या आया मित्र से पहले जैसे सम्मान किया था वैसे ही समान भाव प्रेम पूर्वक अब भी किया सो सज्जन अनुराग मित्र दुख काटन की थे हरण सो लखन में एक लेकिन नौकर लोग कहने लगे यह वही सेट है जो पहले मर के गले से हर निकालकर ले गए हैं उसी दिन से कमाई करके आज करोड़पति बनकर आए और अब फिर कुछ लेने आए हैं। 


इसकी चौकसी करना रात के व्रत वही जाकर माथा हुआ मोर उसे हार का वापस उगलने लगा तब सबको बुलाकर दिखाया कि एक दिन चिराग मोर हर निकल गया था और आज यह दिन चित्रांग का मोर हार उगल रहा है वहां कुछ दिन रहकर सेठानी अपने ससुराल बसंतपुर आई राम जी सेठ खबर पाकर लेने आए बहन ने कहा कि भाई तुम हमारे धन को देखकर लेने आए हो अगर आप चाहते तो हमें संकट से पहले मदद करते उसे वक्त भोजी ने मार भी लेने नहीं दिया। 


गरम-गरम चावलों का मार पत्थर से गिराया जिसमें मेरा अंग जल गया जो अभी तक ठीक नहीं हुआ है वह रामजी सेठ ने कहा बहन तुम्हारे पाप उदय से बुद्धि सोचती थी और अपने बहन को समझ कर अपने घर ले आए और कुछ दिनों के बाद हस्तिनापुर में अपनी पुत्री के यहां चले गए पुत्री खबर पाकर बहुत से सहेलियों के साथ गाजियाबाद लेकर अगवानी होत के बहन अनहोत का भाई नैना पीछे नार पराई भाइयों ने कहा कि उसे वक्त दिन को आज कर जब हम संकटग्रस्त आए थे। 


तब तुम एक दिन भी रखना को राजी नहीं थी ना मिलने को आई और भोजन में कीड़े और कोयल भरकर भेजे थे। जिन्हें हम यहां गढ़ दिए थे बहन ने कहा भैया मैं तो भोजन ही भेजा था तुम्हारा पाप उदय से ऐसा बन गया अगर मैं उसे अवस्था में मिलने आती तो मेरे ससुराल और तुम्हारे दोनों की बदनामी होती मगर दर्द सेठ ने अपनी पुत्री को धन जेवर देकर विदा किया। 


और वहां से अपने देश उज्जैनी को वापस आ गए जो लक्ष्मी पहले पिंडदान रूप हो गए थे वह सब अपनी असली अवस्था में मिले दास दासी नौकर जाकर सब आया मिले देशांतर के प्रोग्राम जो जहां तार रुक गए थे वह भी पुणे से प्रभाव में आप मिले इसलिए व्रत भाग को महादोष समझकर इस व्रत को दिष्ट श्रद्धा के साथ करना चाहिए, और इस व्रत की कथा वचन सुनना चाहिए चाहे कोई भी व्रत हो व्रत करने वाले को पूजा दानी जरूर करना चाहिए। 


जैन रोट तीज व्रत विधि

जैन रोट तीज व्रत विधि कुछ इस प्रकार है:-

  • जैन रोट तीज में 6 रसों का त्याग करना होता है। 

  • जैन रोट तीज व्रत के दिन गेहूं के आटे का रोट बनाया जाता है।

  • इसके बाद इसे रसप्रीतजात खाया जाता है।

  • पूरे दिन में एक ही बार भोजन किया जाता है।

  • सुबह उठकर घर की साफ सफाई करके स्नानजानी करना चाहिए

  • इसके बाद स्वस्थ वस्त्र पहन कर 24 महाराज की पूजा करना चाहिए। 


और पूरी श्रद्धा के साथ ध्यान करके रोट तीज व्रत का पारण करना चाहिए। 



जैन रोट तीज व्रत का महत्व

जैन धर्म जैन रोट तीज व्रत का विशेष महत्व माना गया है इस वर्ष को करने से सब परिवार में क्लेश का वातावरण दूर होकर सुख शांति आती है। इस व्रत को करने से जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं होती है। माता लक्ष्मी को कृपा हमेशा बनी रहती है। विशेष रूप से महिलाओं इस व्रत को जरूर करना चाहिए, उसके परिवार से सुख शांति दंपाय जीवन का आशीर्वाद मिलता है कष्ट विद्या बड़ा से उसे मुक्ति मिलती है और पूरा जीवन सुखी पूर्वक बिता सकते हैं। 


FAQ

Q. जैन रोट तीज की अवधि क्या होती है?

Ans. जैन रोट तीज आप अपनी क्षमता अनुसार तीन वर्ष 12 वर्ष या फिर 24 वर्ष कर सकते हैं जैन रोट तीज व्रत में एक बार आता है जिसे पूरी श्रद्धा के साथ करना चाहिए. 


Q. जैन रोट तीज में रोट कौन बनाती है?

Ans. जैन रोट तीज में रोट घर के मुख्य कुटुंब बानी घर की मालकिन बनती है और अलग-अलग लोगों के नाम का रोट अलग-अलग बनाती है। 


अंतिम शब्द 

तो दोस्तों आज की इस लेख में हमने बताया कि जैन रोट तीज कब है जैन रोट तीज के बारे में हमने आपको पूरी जानकारी दी है जैसे आप जैन रोट तीज कब है जान गए होंगे, जैन रोट तीज की व्रत कथा के बारे में हमने आपको पूरी जानकारी दिया है।


मुझे आशा है, कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा, अगर आपको इस लेख से जुड़ी कोई भी सवाल है तो आप हमें कमेंट में जरूर बताएं, साथ ही इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें ताकि उसे भी जानकारी मिले।



इसे भी पढ़ें

No comments:
Write comment